बसपा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने वाले बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश सिंह को मायावती ने मंगलवार को पद से हटा दिया। यही नहीं जय प्रकाश सिंह से नेशनल कोआर्डिनेशन की जिम्मेदारी भी छीन ली गई।
जय प्रकाश सिंह ने राजधानी लखनऊ में सोमवार को आयोजित बसपा के कॉडर कैंप में राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि बच्चा या तो मां पर जाता है या बाप पर। राहुल पिता की जगह मां पर गए। पिता देश के थे। उन पर जाते तो भला हो सकता था। मां विदेशी महिला हैं, वे कभी सफल नहीं हो सकते। पीएम पद की एक मात्र विकल्प मायावती हैं। कर्नाटक में विपक्षी दलों के मंच पर सबसे बीच में मायावती थीं। उन्हें सभी दलों ने अपना नेता मान लिया है।
इस सम्मेलन में बसपा सुप्रीमो मायावती को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया गया। नेशनल कोऑर्डिनेटर व सांसद वीर सिंह व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश सिंह ने जोर देकर यह बताने का प्रयास किया था कि आज के समय में सीटों की संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती है। कम सीट पाने वाले मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनते रहे हैं। वे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में लखनऊ और कानपुर जोन के पदाधिकारियों के कैडर कैंप को संबोधित कर रहे थे।
मंगलवार को बीएसपी की ओर से जारी बयान में कहा कि बसपा ने उपाध्यक्ष जय प्रकाश सिंह ने पार्टी की सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय तथा धर्म निरपेक्ष व सर्व धर्म सम्मान की सोच के विपरीत जाकर कर एक राष्ट्रीय नेता के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी की है। जिसे देखते हुए उन्हें तत्काल बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाया जाता है। बसपा ने उनकी टिप्पणी को उनकी निजी सोच की उपज बताते हुए बयान से किनारा कर लिया।
गांधी टोपी के बहाने भी कांग्रेस पर वार
जेपी ने गांधी टोपी के बहाने भी कांग्रेस को निशाने पर लेने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि अब गांधी की टोपी में वोट नहीं बचा है। वोट अंबेडकर के कोट में भरा पड़ा है। अब अंबेडकर की सरकार बनेगी। वेद, मनुस्मृति, गीता, रामायण सारे के सारे खोखले पड़ गए। एक पड़ले पर सारे ग्रंथ रख दीजिए, दूसरे पर संविधा। अब संविधान ही सब पर भारी है।
देश भर के कार्यकर्ताओं को भी चेतावनी
बसपा सुप्रीमो ने जारी किए गए बयान में पार्टी के देश भर में फैले कार्यकर्ताओं को कड़ी चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि बीएसपी की हर छोटी-बड़ी मीटिंग व कैडर कैंप एवं जनसभा में केवल पार्टी की विचारधारा, नीतियों व मूवमेंट के बारे में ही बात करें। अन्य नेताओं, धर्म गुरुओं व महापुरुषों के बारे में अभद्र व अशोभनीय भाषा का कतई इस्तेमाल न करें।
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